You have to fight against the worst conditions to become the best !!
The story is of a temple, where
everyone worked on the salary basis, the worshiper, temple’s priest, the playing
temple bell, everyone. when it was aarti, it used to get so much fun that
everyone could see his devotion in playing the temple bell, People used to see God,
but for God, which was his felling, People also saw the love that was engrossed
in ringing the bell, they also respected it, And everyone used to enjoy aarti
very much because of that person.
The trustee of the temple changed, new
trustee came and said that now in this temple only those who are worked, educated
will be able to work, who will not be educated, He was discharged, so the
person who rang this bell also got discharged because it was not educated.
He said it, take your salary till
today, you do not need to come here from tomorrow, he says sir, I may not have
read and written but I do it with all my heart, let me do it, No it cannot be,
there is only one rule here, which is educated it will work here only, you
can't.
The devotees kept coming to the
temple, but now they did not enjoy them in the aarti, which used to come during
the playing bell of that, some people are reached his house while searching, and
requested him you come to the temple, you start playing the bell, he said i
cannot come, if i come, they will feel that i have come for a job, i need money
so i am coming, i cannot come.
So some people said a solution, so
let's you open a small shop, incense sticks, etc, sell it outside the temple,
and when the time of arti comes, then come and play the bell, someone you will
not feel that you have come in need of money, you are in need of a job.
The shop opened in front of the
temple, it comes every morning and evening of aarti and with the same devotion,
he used to play the bell by drowning in the same way, it continued for many years,
but its shop was small now was not small, it was a habit to do any work from
the heart, then seven shops from one shop, seventy shops from seven shops, now he
has set up a factory making incense sticks. Became the richest man, used to
come from Mercedes to the factory, even then he used to play the bell in the temple.
After a few years the trustee of the
temple changed again, the new trustee had to do some work in the temple like
renovation, the money was needed, then the factory owner first thought, go to
the factory owner and say something has to be done in the temple for which 7
lakhs rupees are needed. He did not asked any question, put the check in front
of him, fill it, that person filled the check and say signature, he said that I
do not know how to signature, i can put a thumb, he is surprised new trustee, you
are illiterate, you are not educated, then the owner of such a big factory is
so rich, if you were educated, you would not have been told, so he say if I had
read, I would have been playing bell only in the temple till now.
It means to say that many times the
situation becomes such that your shortcoming are realized, it is said that you
have these shortcomings. So this work may not be worth it, but the same deficiency
opens new doors for you. If one door is closed then the other door definitely opens,
new path open.
सबसे बेहतर बनने के लिए आपको सबसे खराब
हालातों से लड़ना पड़ता है !!
कहानी है एक मंदिर
की, जहां हर कोई पगार
पर काम करता था, पूजा करने वाला, आरती करने वाला, मंदिर का घंटा बजाने
वाला हर कोई, जो
घंटा बजाने वाला था न, जब
आरती होता था तो इतना मशगूल हो जाता था
घंटा बजाने में की हर किसी
को उसकी भक्ति भाव नजर आता था, लोग भगवान के दर्शन तो
करते ही थे, लेकिन
भगवान के लिए जो
उसका भाव था, जो प्रेम था घंटा
बजाने में जो तल्लीनता होती
थी उसका भी लोग दर्शन
करते थे, उसका भी सम्मान करते
थे, और आरती का
हर कोई बहुत आनंद लिया करता था, उस ब्यक्ति के
वहाँ होने से ।
मन्दिर का ट्रस्टी बदल
गया, नया ट्रस्टी आया और बोला की
अब इस मंदिर में
वही ब्यक्ति काम कर सकेंगे, जो
पढ़े लिखे होंगे, जो पढ़े लिखे
नहीं होंगे उनकी छुट्टी हो जाएगी, तो इस
घंटा बजाने वाले का भी छुट्टी हो गया, क्योंकि ये पढ़ा लिखा नहीं था ।
उसको बोला ये लो तुम्हारी आज तक की
पगार अब कल से तुमको यहाँ आने की जरुरत नहीं है, वो कहता है , साहब भले मैं पढ़ा लिखा नहीं हूं, लेकिन ये काम मैं
पूरे दिल से, मन से मैं
करता हूँ, मुझे करने दीजिये । ट्रस्टी
ने कहा नहीं ये
नहीं हो सकता है,
यहाँ बस एक ही
नियम है, जो पढ़ा लिखा
होगा वही यहाँ काम करेगा, तो तुम नहीं कर सकते, बेचारा क्या करता
चला गया ।
मंदिर में दर्शनार्थी आते रहे, भक्त
जन आते रहे, लेकिन अब उन्हें आरती में उनको मजा नहीं आता था, जो इस घंटा बजाने वाले
के समय में आया करता था, कुछ लोग घंटा बजाने वाले को ढूंढते ढूंढते उसके घर पहुंच गए
और उससे बिनती की तुम आ जाओ न मंदिर में, तुम वापस से घंटा बजाने लगो वहाँ पर, तो बोलता
है मैं नहीं आ सकता आऊंगा तो उनको लगेगा कि मैं नौकरी के लिए आया हु, मुझे पैसो की
जरुरत है इस लिए आ रहा हु मैं नहीं आ सकता ।
कुछ लोगो ने एक उपाय किया तो चलो एक
छोटी से दुकान खुलवा देते है अगरबत्ती वगैरह की, मंदिर के बहार वो बेचा करना, और जब
आरती का समय होगा तब आकर घंटा बजा देना, किसी को नहीं लगेगा कि तुम्हे नौकरी के लिए या पैसे की जरुरत में तुम वहाँ आये
हो ।
ऐसा ही हुआ एक छोटी सी दुकान मंदिर
के सामने उसकी खुल गयी, रोज़ सुबह शाम आरती के समय में आता और उसी भक्ति भाव से, उसी
रास तल्लीनता से डूबकर घंटा बजाया करता था, कई सालों तक यही चलता रहा, लेकिन इसकी दुकान
छोटी की छोटी नहीं रही । इसकी तो आदत ही थी
किसी भी काम को दिल से करने की, तो एक दुकान से सात दुकान, सात दुकान से सत्तर दुकान,
अब फिर अगरबत्ती बनाने की एक फैक्ट्री ही वहाँ पर डाल दी, सबसे अमीर आदमी हो गया, मर्सिडीज से आया
करता था फैक्ट्री में, फिर भी जाकर घंटा बजाया करता था मंदिर में ।
कुछ वर्षो बाद मन्दिर का ट्रस्टी फिर
से बदला, नए ट्रस्टी को मंदिर में कुछ काम करना था नवीकरण जैसा, पैसो की जरुरत थी तो
सबसे पहले फैक्ट्री मालिक का ख्याल आया, फैक्ट्री मालिक से जा कर बोला मंदिर में कुछ
काम करना है जिसके लिए 7 लाख रुपियो की जरुरत है, उसने एक भी सवाल नहीं किया, चेक उसके
सामने रख दिया की भर लो, उस ब्यक्ति ने चेक भर दिया और बोला की हस्ताक्षर कर दीजिये,
वो बोला की मुझे हस्ताक्षर करना नहीं आता, मैं अंगूठा लगा सकता हु, वो हैरान हो गया
नया ट्रस्टी, आप अनपढ़ है पढ़े लिखे नहीं है, तब इतने बड़े फैक्ट्री के मालिक है इतने
अमीर है, कही आप पढ़े लिखे होते तो न जाने कहा होते, तो वह कहता है मैं पढ़ा लिखा होता
तो अबतक सिर्फ मंदिर में, घंटा ही बजा रहा होता ।
कहने का मतलब ये
है कई बार परिस्थिति
ऐसे बनती है आपकी कमियों
का एहसास कराया जाता है, बताया जाता है की तुम में
ये कमियां है । इस लिए इस काम के लायक नहीं
हो, लेकिन वही कमिया आप के लिए नए दरवाजे खोलता है
। एक दरवाजा बंद होता है तो दूसरा दरवाजा जरूर खुल जाता है नए रास्ते खुल जाते
है ।
तो फिर कही भी आपको आप की कमी दिखाया
गया है, दर्शाया गया है तो ध्यान से देखिये, किसी बड़ी अवसर के दस्तक हो सकती है …………..
Very nice story
ReplyDeleteVery nice stories
ReplyDeleteKya bat h
ReplyDeleteVery nice stories
जो भी काम करें पूर्ण मेहनत ओर लगन से करे
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