The paths never end, only we lose courage !!!
Was a
child of a middle-class family, was very obedient, hardworking ……, and also a
brilliant student, a very intelligent student, but when he went to college
after school, his behavior suddenly began to change, stopped listening to the
elderly, stopped working hard in studies, even lying and started taking money
from home.
Everyone
was worried about his behavior, when he tried to know and understand why he is
doing this ……, he came to know that he is in the wrong company, everyone
explained and to leave this wrong company said, but there was no effect on him,
he would simply say that I know my good and bad, and no matter how my friends
are, that will not affect me.
A lot
of people got upset, time progressed slowly and the time of examination also
came, he did some hard work during the exam but it was not enough ……, and he
failed in two subjects…, that boy that always used to pass with very good
numbers, he failed in two subjects……, it was nothing short of a big shock for
him, the result was so much sorrow, that he even stopped talking, and himself locked
in a room, however everyone explained to him that this result is not the final
result, forget it and prepare ahead, but as if he could not rise above the gum
of failure ……., now one of his favorite students who was the principal of his
previous school, he got information about his condition, very sad.
He
thought of something and called him to his house one day, when he reached home,
he saw that the Principal Angithi is heating up, went and sat quietly near him,
sat silently for 15 minutes… .that he said something and neither the principal,
then the principal sir picked up a piece of coal from the fireplace with tongs
and put it on the soil, now that piece of ember ………., piece of coal, after
going to the soil he kept giving heat for a while, but eventually extinguished,
the heat also ended, the boy felt it all strange and anxiously he asked why you
did it, taking that piece out of the middle of the coal in the soil put?
The principal sir smiled …… and after picking up the piece and putting it back in
the ring… .. know what happened, after going back to the fireplace he burnt
again, and started giving heat again, and the principal sir gave him he said to
the boy… understand something, you too are like a piece of coal, when you were
in good company ……. good used to read, good results came, everyone liked you,
for a while you went into the wrong company, it does not mean that you have
become useless, if you come back again in good company…. start following the
right behavior, then you can become the same man from back.
We
humans should never forget that God's most beloved work, if anything, is a
human being, and god has given us the infinite powers, and the power that can
turn even the biggest defeat into victory, so no small big loss can define your
life, you can turn it into victory again.
रास्ते
कभी खत्म नहीं होते, हम लोग ही हिम्मत हार जाते है !!!
एक मध्यम श्रेणी के परिवार का बच्चा
था, बहुत आज्ञाकारी था, मेहनती था……, और एक मेधावी छात्र भी था, बहुत ही बुद्धिमान
छात्र था, लेकिन स्कूल के बाद जब वह कॉलेज में गया तो उसका ब्यवहार अचानक बदलने लगा,
बुजुर्गो के बात सुनना बंद कर दिया, पढाई में मेहनत करना बंद कर दिया, यहाँ तक कि झूठ
बोलकर घर से पैसे भी लेने लगा ।
हर कोई उसके इस ब्यवहार से चिंतित थे,
जब ये जानने और समझने की कोशिश की गयी, की वह ऐसे क्यों कर रहा है……, पता चला की वह
गलत संगत में है, सब लोगो ने समझाया और इस गलत संगत को छोड़ने के लिए कहा, लेकिन उस
पर कोई असर नहीं हुआ, वह तो बस यह कह देता था कि मुझे मेरा अच्छा और बुरा पूरा पता
है, और भले ही मेरे दोस्त कैसे भी हो, वह मुझ पर असर कुछ भी नहीं पड़ेगा ।
काफी सब लोग परेशान हुए, धीरे धीरे समय आगे बढ़ता गया और परीक्षा का समय भी आ गया, परीक्षा के समय वह कुछ मेहनत तो किया लेकिन वह पर्याप्त नहीं था……., और वह दो विषय में फेल हो गया……, वह लड़का जो हमेशा बहुत अच्छे संख्या से पास होता था, वह दो विषय में विफल………, उसके लिए किसी जोरदार झटके से कम नहीं था, परिणाम का गम इस कदर उसपर छाया हुआ था, की वह सबसे बात करना भी छोड़ दिया, और खुद को एक कमरे में बंद कर दिया, हलाकि सब ने उसे समझाया कि यह परिणाम आखरी परिणाम नहीं है, उसे भूल जाओ और आगे की तैयारी करो, मगर जैसे की वह विफल होने के गम से ऊपर उठ ही नहीं पा रहा था……., अब उसके जो पिछले स्कूल के प्रधानाचार्य थे उनके पसंदीदा छात्र में से था, उन्हें उसके हालत के बारे में जानकारी मिला, बहुत दुःख हुआ ।
उन्होने कुछ सोचा और एक दिन उसको अपने
घर बुला लिया, जब घर पंहुचा तो उसने देखा की प्रधानाचार्य अँगीठी ताप रहे है, जाकर चुपचाप उनके पास में बैठ
गया, 15 मिनट तक चुप चाप बैठे रहे…….न ये कुछ बोला और न प्रधानाचार्य महोदय,
फिर प्रधानाचार्य महोदय चिमटे से अंगीठी में से एक कोयले का टुकड़ा उठाया और उठाकर उसे
मिटटी पर डाल दिया, अब अंगार का वह टुकड़ा………., कोयले का टुकड़ा, मिटटी पर जाने के बाद
कुछ देर तक तो गर्मी देता रहा, लेकिन अंततः बुझ गया, गर्माहट भी खत्म हो गया, उस लड़के
को यह सब बड़ा अजीब लगा और उत्सुक होकर उसने पूछा कि आपने यह क्यों किया, उस टुकड़े को
कोयले के बीच में से निकाल कर मिटटी में डाल दिया ?
प्रधानाचार्य महोदय मुस्कुराए……, और
उस टुकड़े को उठा कर वापस अँगीठी में डाल दिया……., पता है क्या हुआ, अंगीठी में वापस
जाने के बाद वह फिर से धधक उठा, और फिर से गर्मी देने लगा, और प्रधानाचार्य महोदय ने
उस लड़के से कहा कुछ समझे……., तुम भी इसे कोयले के टुकड़े की तरह हो, जब अच्छे संगत में
थे……. अच्छी तरह से पढ़ते थे, अच्छा परिणाम आता था, हर कोई तुम्हे पसंद करता था, कुछ
देर के लिए तुम गलत संगत में चले गए तो उसका ये मतलब नहीं है की तुम बेकार हो गए हो,
अगर तुम दुबारा अच्छे संगत में आ जाओ…. सही आचरण का पालन करने लग जाओ, तो तुम वापस
से वही आदमी बन सकते हो ।
हम मनुष्य को इस बात को कभी नहीं भूलना
चाहिए की इश्वर की सबसे प्रिय कृति, अगर कुछ है तो वह मनुष्य है, और हममें आसिम शक्तिया
भगवान् ने दी है, और वह शक्ति जो बड़ी से बड़ी हार को भी जीत में बदल सकता है, तो कोई
भी छोटा बड़ा हार, आप के जीवन को परिभाषित नहीं कर सकता है, आप इसे दुबारा जीत में बदल
सकते है ।
कुए से पानी खींचने के लिए बर्तन से बाँधी हुई रस्सी कुए के किनारे पर रखे हुए पत्थर से बार -बार रगड़ खाने से पत्थर पर भी निशान बन जाते हैं। ठीक इसी प्रकार बार -बार अभ्यास करने से मंद बुद्धि व्यक्ति भी कई नई बातें सीख कर उनका जानकार हो जाता है।
ReplyDeleteVery nice stories sir