Should work hard, not money !!!
He had a bad habit of a boy, used to spend money daily, used to ask Dad for money and would spend some time traveling with friends, eating, drinking, watching movies. The boy's father used to run a furnace, in which he used to cook milk and cook it, from this boy's antics… .. Father was a little annoyed, called him one day and explained… .. son you have grown up now, and you should not spend money like this, you should appreciate money. The boy got very angry, he said, which father asks for thousands of rupees from you, I take a little money and you are telling me so much for that.
Whatever kind of money you have,
you can return to me in the day you say, Dad got very angry, felt very bad, but
he knew that it was not going to be a matter of rebuke. They said to the boy,
OK it is a good thing, do not do too much, bring me back one rupee daily, the
boy said yes, I will return and go away from him.
The next day, when I came home
wandering in the evening, my father said, bring my 1 rupee, he got a little
nervous… because he had forgotten what happened yesterday, and went to grandma
and quickly 1 rupee. Demand brought and placed it in Dad's hand, and Dad threw
that 1 rupee in the furnace in front of him, The boy asked why did you do this,
so father said by giving you 1 rupee, now whatever I want to do, this one also
said who should argue with father, and he went away.
Now this trend continued every
day, the next day brought money from mother, someday brought money from brother
and for many days, for many months, in fact for many months, sometimes a friend
would bring a rupee from his relatives, and every day father would give him putting
1 rupee in the furnace, one day came when everyone refused to give money to the
boy, that no brother, I have no money now. And now it was going to be evening,
the boy had a provision of 1 rupee could not have been done, it was a feeling
in my mind that if I could not give even 1 rupee, then it would be very
insurmountable in front of Dad, walking on the road and thinking… what should I
do, then he had an old Baba seen the hands that were carrying the rickshaw,
seated a passenger, went to them and said if you pull my rickshaw for a while,
instead of that you will give me just 1 rupee, and that old Baba is so tired.
They had already said yes.
The boy started work but in a
short time as the palms started burning, feet started hurting, but if he wanted
1 rupee, then somehow he completed this work, and when he got 1 rupee, he was
very happy and very proudly went to father and put 1 rupee in his palm, father
was going to put that 1 rupee in the furnace even today as usual. That boy
grabbed his hand, and said…. No father you cannot put it in the furnace, it is
my hard-earned money, and told my father the whole story …… ..
Then the father said that you
used to put 1 rupee in the furnace every day and you did not mind, but today
you were pained, because you have earned hard work… and that boy also understood
the value of money that day….
Many of us are elated that our
children or younger siblings will not appreciate our earned money, they will
not be able to spend much money………, they will be able to appreciate their hard
work…….. Motivate them to work hard When they earn a little bit of money by
working hard, they will appreciate it, and then they will not only value their
hard earned money, but will also earn the hard work of everyone ……
क़द्र
पैसे
की
नहीं,
मेहनत
की
करनी
चाहिए
!!!
एक लड़का था
उसकी एक बुरी आदत
थी फिजूल खर्ची के, रोज़ पिताजी से पैसा मांगता
था और कभी दोस्तों
के साथ घूमने फिरने में कभी खाने पीने में, सिनेमा देखने में उसे खर्च कर देता था । उस
लड़के के पिताजी एक भट्टी चलते थे, जिसमें दूध को पका पका कर खोवा बनाने का काम करते
थे, लड़के के इस हरकतों से….. इस फिजूल खर्ची से पिताजी थोड़े नाराज थे, एक दिन उसे बुलाया
और समझाया….. कि बेटा अब तुम बड़े हो गए हो, और तुम्हे इस तरह से फिजूल खर्ची नहीं करनी
चाहिए, पैसो की कद्र करनी चाहिए । उस लड़के को बड़ा गुस्सा आया, उसने कहा पिताजी कौन
सा हजारों रुपये आप से मांगता हु, चंद पैसे लेता हु और आप उसके लिए आप मुझे इतना सुना
रहे है ।
आप के जो थोड़े मोड पैसे है, आप जिस
दिन कहेंगे में आप को लौटा सकता हूं, पिताजी को बहुत गुस्सा आया, बहुत बुरा लगा, लेकिन
वह समझ चुके थे कि डांटने फटकारने से बात नहीं बनने वाला है. उन्होंने उस लड़के से कहा
ठीक है, बड़ी अच्छी बात है, ऐसा करो ज्यादा नहीं, मुझे रोज़ 1 रूपया लाकर लौटा दिया करो,
लड़के ने कहा हां बिल्कुल लौटा दूंगा और चला गया वह से ।
अगले दिन शाम को जब घुमता
फिरता घर आया तो
पिताजी ने कहा लाओ
मेरा 1 रुपया, उसने थोड़ा सा घबराया…….. क्योंकी
वह तो भूल ही
गया था कि कल
क्या बात हुआ था, और गया दादी के पास और
झट से 1 रुपये माँग लाया और पिताजी के हाथ में रख दिया, और पिताजी ने उस 1 रूपये को
उसके सामने ही भट्टी में फेक दिया, लड़के ने पूछा ऐसा क्यों किया आपने, तो पिताजी ने
कहा तुम्हे 1 रुपया देने से मतलब है, अब मैं जो चाहे करू, इस ने भी कहा कौन बहस करे
पिताजी से, और चला गया वह से ।
अब ये सिलसिला
रोज़ चलता रहा, अगले दिन माँ से पैसे ले
आया, किसी दिन भाई से पैसे ले
आया और कई दिनों
तक असल में कई महीनो तक
कभी दोस्तों से कभी सगी
संबंधियों से एक रुपया पिताजी को ला कर देता, और रोज़ पिताजी उस 1 रूपये को भट्टी में
डाल देते, एक दिन ऐसा आया जब हर किसी ने लड़के को पैसे देने से मना कर दिया, कि नहीं
भाई अब मेरे पास पैसे नहीं है । और अब शाम होने वाला था, लड़के के पास 1 रुपये का इंतजाम
भी नहीं हो पाया था, इसके मन में ये भावना आ रहा था की अगर 1 रूपये भी नहीं दे पाया
तो बड़ी बेज्जती हो जायेगा पिताजी के सामने, सड़क पर घूम रहा था और सोच रहा था…… क्या
करूँ, तभी उसने एक बूढ़े बाबा को देखा जो हाथ रिक्शा खींचे ले जा रहे थे, एक मुसाफिर
को बिठाये हुए, उनके पास गया और बोला कि क्या आप का रिक्शा थोड़ी देर के लिए मैं खींच
दूँ उसके बदले आप मुझे बस 1 रूपया दे दीजियेगा, और वह बूढ़े बाबा इतना थक चुके थे उन्होंने
तुरंत हां कर दिया ।
लड़के ने काम शुरू किया लेकिन थोड़ी ही
देर में हथेलियों में जैसे जलन होने लगा, पैर दुखने लग गए, मगर 1 रुपया तो चाहिए था,
तो किसी तरह उसने ये काम पूरा किया, और जब ये 1 रुपया मिला तो बहुत ख़ुशी से और बहुत
गर्व से पिताजी के पास गया और हथेली में 1 रुपया रख दिया, पिताजी रोज़ की तरह आज भी
उस 1 रूपये को भट्टी में डालने ही वाले थे…. कि लड़के ने उनका हाथ पकड़ लिया, और बोला….
नहीं पिताजी आप इसे भट्टी में नहीं डाल सकते, ये मेरा मेहनत की कमाई है, और पिताजी
को पूरा किस्सा सुनाया……..
तब पिताजी ने
कहा देखा रोज़ तुम्हारे सामने 1 रुपया भट्टी में डालता था और तुम्हे
कोई फर्क नहीं पड़ता था, लेकिन आज तुम्हे दर्द
हुआ, क्योंकी तुम्हारा मेहनत की कमाई है…
और उस दिन पैसों की क़द्र उस लड़के को भी समझ में आ गया था ।
हममें से बहुत लोग
उत्कंठित होते है की हमारे
बच्चे या छोटे भाई
बहन, हमारे कमाये हुए पैसे की कद्र नहीं
करेंगे, वह क़द्र पैसे
की नहीं कर पाएंगे…., वह क़द्र
कर पाएंगे अपने मेहनत की…. उन्हें प्रेरित कीजिये मेहनत करने के लिए, मेहनत करके जब
वह थोड़ा सा भी धन कमाएंगे तो उसका क़द्र करेंगे, और न फिर सिर्फ अपने मेहनत के कमाई
की क़द्र करेंगे, बल्कि हर किसी की मेहनत की कमाई की क़द्र करेंगे ……
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