Story of Marathon Runner !!!
Roshan
was a marathon runner, who used to participate in every marathon…. But till
date no one had completed the marathon, he was very sorry for this. One day the
announcement was made for the biggest marathon in the city, and Roshan promised
himself that this time he would definitely complete this marathon, with the
decision he started working hard, It was hard work for the month and the day of
the marathon had arrived, along with all the marathon runners, Roshan started
running, but shortly after, his feet started hurting and he felt that this time
will not be possible, but the voice from inside Came to light up…. If you are
not able to get round, then keep going slowly and move forward.
That
means he slowed down a bit earlier, after some time he started pulling the
nerves of his foot, he just started to feel like completing the marathon, but
there was a sound inside …… if you are not able to run then do not stop running
the marathon. Must be completed, and he started walking very slow, his
marathoners were going ahead of him one by one, And he could not do anything
except to look ahead, when he stumbled and fell on the ground… .. and the idea
that he was lying on the ground came, look, man…. He too could not complete the
marathon, then again a voice came from the mind that if you are unable to walk,
then cross the last line while grabbing, now the last line is very close,
crossing the last line only while grabbing… .. more The happiness …… the
satisfaction… he felt he had never felt before.
The same happens with all of us, there are
situations in life that we cannot complete the work, but in those circumstances
never make excuses to leave the work incomplete, do your work with all your
heart and then the satisfaction… .. The happiness… .. will be different from what
you get ………….
Hindi Translate
मैराथन
दौड़ने वाले की कहानी
रौशन एक मैराथन दौड़ने वाले (रनर) था, जो की हर
मैराथन में हिस्सा तो लेता था….
लेकिन आज तक कोई
भी मैराथन में पूरी नहीं कर पाया था, इस बात को उसको
बहुत अफ़सोस था । एक दिन घोषणा हुआ शहर की सबसे बड़ी मैराथन की, और रौशन ने खुद से वादा
किया कि इस बार जरुर ये मैराथन वह पूरा करेगा, इस फैसले के साथ वह कड़ी मेहनत भी शुरू
कर दिया, महीनो की मेहनत थी और मैराथन का दिन आ गया बाकि सभी मैराथन दौड़ने वाले के
साथ रौशन ने भी दौड़ना शुरू किया, लेकिन कुछ ही देर बाद उसके पैरो में दर्द होने लगा
और उसे लगा कि नहीं हो पायगे इस बार भी, मगर अंदर से आवाज आया कि रौशन…. अगर दौर नहीं
पा रहे हो तो धीरे-धीरे ही चलते रहो और आगे बढ़ो ।
मतलब पहले के अपेक्षा वह थोड़ा धीमा
हो गया, कुछ देर बाद उसके पैर के नसे खींचने लगे, उसको अभी मैराथन पूरा करना नामुमकिन
सा लगने लगा, मगर अंदर से आवाज़ आया…… कि अगर भाग नहीं पा रहे हो तो चलते रहो रुको मत
मैराथन जरुर पूरी करनी है, और वह चलने लगा काफी धीमी गति हो गयी थी उसकी, सारे मैराथन
दौड़ने वाले एक-एक कर उससे आगे निकलते जा रहे थे, और
वह आगे निकलते हुए देखने के अलावा कुछ कर भी नहीं सकता था, तभी लड़खड़ा कर जमीन पर गिर
पड़ा….. और जमीं पर पड़े पड़े ये विचार आया की देखो यार…. ये भी मैराथन पूरी नहीं कर
पाया, तभी फिर एक मन की आवाज आई कि उठो चल नहीं पाते हो तो लरखड़ाते हुए ही अंतिम रेखा
पार तो कर लो, अब अंतिम रेखा बहुत नजदीक है, लरखड़ाते हुए ही अंतिम रेखा पार की….. और
जो ख़ुशी…… जो संतुष्टि… वह महसूस की वो इस से पहले कभी महसूस नहीं किया था ।
हम सब के साथ भी ऐसा होता है, जीवन में ऐसे परिस्थिति आते है की काम पूरा नहीं कर पाते है, लेकिन उन परिस्थिति में काम अधूरा छोड़ने का बहाना कभी मत बनाइये, अपना काम पूरे मन के साथ कीजिये उसके बाद जो संतुष्टि….. जो ख़ुशी….. मिलेगी उसकी बात ही अलग होगी………… ।
Nice stories sir
ReplyDelete