Normal Life Style .......


A old woman was standing in a long queue in front of the bank's cash counter, wearing a simple sari, holding an old bag in her hand, in which she stuffed vegetables there was a huge crowd in front of the cash counter in the bank, as is often seen.

When her number arrived, a girl was sitting at the cash counter, the elderly lady said that I have to withdraw Rs. 500/- from my account help me. that lady did not look at her in a proper way, and she replied look for Rs. 500/- you should not line up here, if any amount is less than Rs 5000/- then you will have to use ATM.

The lady said why… So she was a cashier, teasing little, Madam rule is the rule that is the rule, I told you to use the ATM, don't waste my time, and let me do my work please, the abuser, being very angry, the cashier said this.

The elderly lady said, well if you cannot give Rs 500/-, then do it so that you give me the entire amount in my account, as soon as that lady (cashier) checked her account, she was stunned, sorry madam, you have Three Thousand Five Hundred Crore rupees in your account, but the bank does not have much money at this time, i cannot give you so much money.

Can you please take the planned time of tomorrow when we can arrange this money and give you the money, then the lady said ok, so you tell me that how much cash you can give me right now, did some calculations and so on and told that right now we can give a cash of 30 lakh rupees, not more than that.

He said okay give 30 lakhs only, withdraw 30 lakh rupees from his account, and respectfully (because money has a lot of value) he gave money. know what the lady had done, took out Rs. 500 / - from it, then bid it to the cashier, deposit it back in my account, she was shocked but could not say anything, and could not say anything, worked for the woman with all respect.

Many a times, we do not assess people with their body language, movement and speech, they forget to think that they are not one such example, for those people, those who like to live their lives with simplicity, who do not wear shiny clothes, who do a lot of their work, such as bringing vegetables themselves, but maybe it is very strong inside, and we and you often make mistakes, to understand people in assessing them.

That's why it is said that do not judge any letter from the envelope, if you are patient inside yourself, you will not make the mistake of assessing people in just one meeting or at a glance ………









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सामान्य जीवन शैली .........

एक बुगुर्ज महिला बैंक के कैश काउंटर के सामने लम्बी कतार में लगी हुई थी, बड़ी साधारण सी साड़ी पहने हुए थी, हाथ में पुराना सा थैला था जिसमें उन्होंने सब्जी भरी हुई थी। कैश काउंटर के सामने बड़ी साडी भीड़ थी बैंक में, जैसे कि अक्सर देखने को मिलती है।

जब उसका नंबर आया, कैश काउंटर पर एक लड़की बैठी हुई थी, उस बुगुर्ज महिला ने कहा मुझे मेरे अकाउंट से 500/- रूपया निकालने है मेरी मदद  कीजिये । उस लेडी ने कायदे से देखा भी नहीं ढंग से, और यु जबाब दिया देखिये 500/- रुपये के लिए आपको यहाँ नहीं लाइन में लगना चाहिए, कोई भी अमाउंट अगर 5000/- रुपये से कम का है तो आप को एटीएम उपयोग करना होगा।

बुगुर्ज महिला ने कहा क्यों  तो वो  थोड्रा चिढते हुये बोली जो केशियर थी, मैडम रूल इज रूल जो नियम है वो है, मैंने आप से कह दिया कि एटीएम का उपयोग कीजिये तो कीजिये, मेरा समय मत बर्बाद कीजिये, और मुझे कृपया अपना काम करने दीजिए, काफी दुर्व्यवहार करते हुए, काफी रूढ होते हुए केशियर ने ये बात कही।

उस बुगुर्ज महिला ने कहा ठीक है, अच्छा अगर 500/- रुपये नहीं दे सकते है तो ऐसा कीजिए कि मेरे अकाउंट में जितना पैसा है मुझे  पूरा दे दीजिये, उस लेडी ने (केशियर) जैसे ही उनका अकाउंट चेक करा तो स्तब्ध रह गए, बोली माफ़ कीजियेगा मैडम, आप के अकाउंट में साढ़े तीन हज़ार करोड़ ..........रुपये है, लेकिन बैंक के पास इस समय इतना पैसा नहीं है, मै आपको इतने पैसे नहीं दे सकती।

क्या कृपया कल का नियोजित समय ले सकती है जब हम ये रुपये व्यवस्था कर सके और आप को रुपये दे सके, तो उस महिला ने कहा ठीक है ओके, तो तुम मुझे ये बताओ कि अभी मुझे कितना कॅश दे सकती हो, उसे कुछ गणना वगैरह किया और बताया कि अभी हम 30 लाख रुपये का कॅश दे सकते है उस से ज्यादा नहीं ।

उसे ने कहा ठीक है 30 लाख ही दे दो, 30 लाख रुपये उनके अकाउंट से निकासी किया, और ससम्मान (क्यों कि पैसे का बहु मान होता है न) उन्होंने पैसा दे दिया। पता है वो बुगुर्ज महिला ने क्या किया, उस में से खाली 500/- रुपये निकल लिया बाकि केशियर को बोली लो इसे वापस मेरे खाते में जमा कर दो, वो स्तब्ध रह गयी लेकिन कुछ नहीं कह सकती थी, और कुछ नहीं कह पायी, पूरे सम्मान से उस महिला के लिए काम किया ।

कई बार न हम लोग को उनके हाव भाव, चाल चलन बोल चाल कपड़ो से आंक लेते है, ये सोचना भूल जाते है की वो ऐसे एक नहीं ढ़ेरो उदहारण है उन लोगो के, जो सादगी से अपना जीवन बिताना पसंद करते है, जो नहीं पहनते चमकदार कपड़े, जो अपने बहुत सारे काम, जैसे सब्जी लाना खुद किया करते है, लेकिन हो  सकता है अंदर से वो बहुत मजबूत है, और हम और आप कई बार गलती कर जाते है लोगो को आंकने में समझने में उनको भांपने में ।

इसलिए कहते है किसी भी खत को लिफाफे से मत आंकिए, अगर आप अपने अंदर धीरज रखेंगे, न की लोगो को महज एक मुलाकात में या एक नजर में आंकने की गलती नहीं करेंगे ………..










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